नमस्कार मित्रो , समकालीन समय में ज्योतिष के कई अवधारणा ओंर मतमतांतर हे , लेकिन यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे ऐ सनातन सत्य हे,और "सत्यम परम धीमहि "इस सूत्र को ध्यानमे लेके ज्योतिष की कोईभी संहिता,चिंतन,मत, हे बस जरुरत हे तो उसे समजनेकी .. चारों वेदों, छे शास्त्रों, और अठारह पुराण हे यह तो सबको पताही होगा ।
चारवेद: -
(1) ऋग्वेद (2) यजुर्वेद (3), साम वेद और (4) अथर्ववेद।
छह शास्त्र: -
(1) शिक्षा शात्र (2) कल्प शात्र (3) व्याकरण शात्र (4) छंद शास्त्र (5) निरुक्त शास्त्र (6) ज्योतिष शात्र
अठारा पुराण : -
(1) मत्स्य पुराण (2) मार्कंडेय पुराण (3) भविष्य पुराण (4) भागवत पुराण (5) ब्रह्म पुराण
(6) ब्रह्माण्ड पुराण (7) ब्रह्मवेवर्त पुराण (8) वराह पुराण (9) वायु पुराण (10) वामन पुराण
(11) विष्णु पुराण (12) अग्नि पुराण (13) नारद पुराण (14) पद्म पुराण (15) लिंग पुराण
(16) गरुड़ पुराण (17) कुर्म पुराण (18) स्कंद पुराण. इनमेसे हम ज्योतिष के बारे में आगे बात करेंगे .............
चारवेद: -
(1) ऋग्वेद (2) यजुर्वेद (3), साम वेद और (4) अथर्ववेद।
छह शास्त्र: -
(1) शिक्षा शात्र (2) कल्प शात्र (3) व्याकरण शात्र (4) छंद शास्त्र (5) निरुक्त शास्त्र (6) ज्योतिष शात्र
अठारा पुराण : -
(1) मत्स्य पुराण (2) मार्कंडेय पुराण (3) भविष्य पुराण (4) भागवत पुराण (5) ब्रह्म पुराण
(6) ब्रह्माण्ड पुराण (7) ब्रह्मवेवर्त पुराण (8) वराह पुराण (9) वायु पुराण (10) वामन पुराण
(11) विष्णु पुराण (12) अग्नि पुराण (13) नारद पुराण (14) पद्म पुराण (15) लिंग पुराण
(16) गरुड़ पुराण (17) कुर्म पुराण (18) स्कंद पुराण. इनमेसे हम ज्योतिष के बारे में आगे बात करेंगे .............
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