बुधवार, 23 दिसंबर 2015

पंचांग माहिती

      मित्रो चन्द्र,सूर्य और पृथ्वी  के परिभ्रमण और परस्पर के अंतर से तिथि बनती हे. देव कार्य करने के लिए शुक्ल पक्ष, और पितृ कार्य करने के लिए कृष्ण पक्ष लेने चाहिए इसी प्रकार एक माह में दो पक्ष हे.
                                                                                                              तिथिओके  नाम: -

(1) प्रतिपदा, (2) द्वितीय  , (3) तृतीया, (4) चतुर्थी, (5) पंचमी , (6) षष्ठी,(7 ) सप्तमी, (8) अष्टमी , (9) नवमी , (10)दसमी , (11) एकादशी , (12)द्वादशी , (13)त्रयोदशी , (14) चतुर्दशी, (15) शुक्ल पक्षमे  पूर्णिमा और  (16) कृष्ण पक्षमे अमावश्य जाननी चाहिए ।

सप्ताह के दिन
    (1) रविवार, (2) सोमवार, (3) मंगलवार, (4) बुधवार, (5) गुरुवार, (6) शुक्रवार, (7) शनिवार,
  ये सप्ताह के सात दिनोके नाम कहे गए हे.
सोम, बुध, गुरु, शुक्र इस चार वार को शुभ कहा गया हे,इस लिए शुभ कार्य   करने  के लिए श्रेढ  है।
 मंगल, सूर्य,और  शनि  इन तीनो दिनको  दिन कहे गए हे क्रूर  कार्य  करने  के लिए अनुकूलित है।
बृहस्पति, शुक्र, और  रविवार के जो दोष हे वे रात्रि को नहीं( दिन मेही हे)  ।
 सोम, शनि, मंगल,के जो दोष हे वे  दिन को नहीं (रात्रिके हे )।
और बुधवार के दोष दिन और रात्रि दोनों समय हे. इस लिए बुधवार के दिन शुभ कार्य करना नहीं और विवाहित कन्या को विदा नहीं करना चाहिए

योग के नाम : -

(1) विष्कुम्भ , (2) प्रीति, (3) आयुष्मान , (4) सौभाग्य , (5) शोभन , (6) अतिगंड , (7) सुकर्मा, (8) धृति ,(9),शूल , (10),गंड (11)वृधि,(12)ध्रुव,(13)व्याघात,(14)हर्षण,(15)वज्र,(16)सिधि,(17)व्यतिपात ,(18)वरियान,(19)परिघ,(20)शिव,(21)सिध्ध,(22)साध्य,(23)शुभ,(24)शुक्ल,(25)ब्रह्मा,(26)इंद्र,(27)वैधृत , इस प्रकार योगोके नाम हे और वे नाम के अनुसार फल देते हे,

करण के नाम

(1)बव (2) बालव (3)कौलव (4)तैतिल (5)गर (6)वणिज (7)विष्टि (8)शकुनि(9) नाग (10)चतुस्पद(11) किस्तुघं
इस प्रकार मुख्य सात करण हे और इसके अलावा कृष्ण पक्ष की चतुर दशी  के उतराध में शकुनी, अमावश्य के पूर्वार्ध में चतुस्पद,  अमावस्या के उतरार्ध में नाग,  शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुन्घ, इस प्रकार ग्यारह करण कहे गए हे.

नक्षत्रो के नाम
 (1) अश्विनी, (2) भरनी , (3) कृतिका , (4) रोहिणी, (5)मृगशीर्ष, (6) आद्रा, (7) पुनर्वसु, (8) पुष्य, (9) आश्लेषा, (10) मघा, (11) पूर्वाफाल्गुनी , (12) उतराफल्गुनी, (13) हस्त, (14) चित्रा,(15) स्वाती, (16), विशाखा, (17) अनुराधा (18) ज्येष्ठा, (19) मूल, (20) पूर्वाषाढ़ा, (21) उतराषाढ़ा, (22) अभिजीत, (23) श्रवण , (24) धनिष्ठा, (25) शतभिषा, (26) पूर्वाभाद्रपद, (27)उतरार्भाद्रपद , (28) रेवती    (29)अभिजित

उतराषाढ़ा का चोथा चरण और श्रवण  नक्षत्र की पहली चार घडी अभिजित नक्षत्र का भोग समय कहागया हे इसलिए  अभिजित को नक्षत्र कहा गया हे ,
 
इस तिथि,वार,नक्षत्र, योग,करण, इस पांच से पंचांग बनता हे, पृथ्वी के परिभ्रमण और ग्रहों नक्षत्रो के  परस्पर के अंतर से कुंडली देखि जाती हे ऐसे तो कुंडली यानिके आकाश का  नक्षा अहोरात्र मतलब  सूर्योदय से  सूर्योदय तक का समय, जेसेकी रविवार अहोरात्र रविवारके सुयोदय से पूरा दिन और रात्रि   24 घंटे तक का समय । मानलीजिये की  बुधवार की सुबह सूर्योदय  7:28:12 । सूर्यास्त  समय 18:12:18 हे , दिनका समय 10:44:06 इनको 12 भाग करना एसे कुल 12 दिनके भाग और 12 रात्रि के भाग एसे कुल 24 इस भाग को होरा कहाजाता हे,  जिस दिनकी होरा देखनी हो उस दिनके वारकी होरा सूर्योदय से गिननी चाहिए जेसेकी  बुध वार की प्रथम होरा बुध की (लाभ ), येतो हुवी ज्योतिषकी प्राथमिक माहिती  अब हम समझ सकते हैं क्या कुंडली में विस्तार से लिखा है, अब हम ग्रहों के परिचय और उसके जन्म कुंडली में प्रभाव और मनुष्य जीवन के ऊपर ग्रहोंके प्रभाव के बारेमे जानेगे.


 ग्रहों
 (1) सूर्य (2) चन्द्र, (3) मंगल, (4) बुध, (5) बृहस्पति, (6) शुक्र, (7) शनि (8) राहू (9) केतु

          उपरके नो ग्रहों से जन्मकुंडली प्रश्न्कुंडली नवमांश कुंडली बनती हे जिसमे ग्रहोके स्थान के अनुकूल फलकथन करनेमे आताहे
ग्रह क्याहे? ग्रहोका वर्णन बंधारण द्रव्य देवता स्वभाव का वर्णन देखनेमे आताहे जिसका उलेख हमें मिलते हे किन्तु वास्तवमे ऐ ग्रहों जो हम देख सकते हे और हमारे सौर मंडलमे हे विग्नान के अनुसार (चन्द्र जलका कारक,सौम्य,मनका मालिक इस प्रकार वर्णन किया जाताहे)
  ऐसा वहा पर कुछ नहीं हे जेशा हमारे शास्त्रमें बताया गया हे वहा जल भी नहीं हे और जीवन भी नहीं हे तो ज्योतिष शास्त्रमे चन्द्र का वर्णन हे वो चन्द्र देवता कोन हे? कहा हे ? हम जिसे देखते हे वो चन्द्र ही हे या कोई और चन्द्र हे इसके बारेमे और अन्यं ग्रहों की विस्तृत परिचय और समजनेकी कोशिस करेगे और ग्रहोकी कुंडली पर कोनसे स्थानमे क्या प्रभाव देतेहे उसके बारेमे आगे जानेगे ............................................... 

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