बुधवार, 13 जनवरी 2016
જ્યોતિષ એટલે શું: મકર સંક્રાંતિ તથા તેનું ફળ
જ્યોતિષ એટલે શું: મકર સંક્રાંતિ તથા તેનું ફળ: વિક્ર્માર્ક સવંત ૨૦૭૨ પ્લવંગ નામ સંવત્સરે શાલિવાહન શકે ૧૯૩૭ મન્મથ નામ સંવત્સરે ઉત્તરાયણે, શિશિર ઋતુ પૌષ માસે ...
रविवार, 10 जनवरी 2016
મંગળનો સ્થાન પર પ્રભાવ
મંગળ સાતમે બળવાન હોય તેવી વ્યકીનો વિવાહ વિલંબથી અથવા ઘણી ઓછી ઉમરે થાય છે, સાતમે ઉચ્ચનો મંગળ વાળી વ્યક્તિ જો વિવાહ કરે તો સામેના પાત્રને ગુપ્ત રોગ અથવા (જનિન અંગો )ગુપ્ત અંગોમાં તકલીફ થાય છે.
આઠમેં મંગળ વાળી વ્યક્તિને ગુહ્યાગોમાં તકલીફ થાય છે, ગુહ્યાગનો અર્થ સ્ત્રીમાં યોની માર્ગ -કમળ-ગર્ભાશય, પુરુષોમાં પ્રોસ્ટેટ -અંડકોશો,મૂત્રાશય માં તકલીફ વગેરે થાય છે.
હરસ,મસા,ભંગદર વગેરે રોગો આઠમે મંગળ અથવા મંગળનો આઠમાં સ્થાન ઉપર દ્રષ્ટી વગેરેના યોગોથી થતો યોગ છે જે ઉપરોક્ત દર્દોમાં કારણભૂત છે.
મંગળ બારમે હોય તે બળવાન હોય તેવી વ્યકીમાં એક વિશેષ ગુણ હોય છે, સામેના પાત્રને નિર્બળ બનાવેછે, તથા શુક્રક્ષયના હિસાબે ટીબી , કમળો, રક્તકણોની કમી વગેરે થાય છે.જેનાથી જો એક પાત્રને મંગળ ૧૨ બારમે હોય જયારે સામે પાત્રને ના હોય તો આવું વિશેષ પ્રકારે બનતું હોય છે.
પુરુષને મંગળ ૧૨ બારમે બળવાન હોય તથા સ્ત્રીને ના હોય ત્યારે તે પુરુષને પત્ની ઓછા રક્તકણ, અશક્ત, લોહીનું પ્રમાણ ઘટવું , કમરનો દુઃખાવો, શરીરનું જલાઈ જવું. વગેરે જવર (તાવ) ની બીમારીનો ભોગ બનેછે.
જયારે પુરુષને મંગળ ના હોય અને સ્ત્રીને મંગળ હોય તો પુરુષ ને કમજોરી, ક્રોધ, ટીબી, ડાયાબિટીસ, પેશાબમાં રસી,પેડુમાં દુઃખાવો, પુરૂષાતનમાં કમી , સ્થંભન શક્તિ ઓછી, ચક્કર આવવા વગેરે ના વ્યાધી (રોગ) થી પીડાય છે,
મીત્રો મંગળ ની અલગ અલગ ગ્રહોની યુતિથી મળતા ફળની આગળ ચર્ચા કરીશું ...............
આઠમેં મંગળ વાળી વ્યક્તિને ગુહ્યાગોમાં તકલીફ થાય છે, ગુહ્યાગનો અર્થ સ્ત્રીમાં યોની માર્ગ -કમળ-ગર્ભાશય, પુરુષોમાં પ્રોસ્ટેટ -અંડકોશો,મૂત્રાશય માં તકલીફ વગેરે થાય છે.
હરસ,મસા,ભંગદર વગેરે રોગો આઠમે મંગળ અથવા મંગળનો આઠમાં સ્થાન ઉપર દ્રષ્ટી વગેરેના યોગોથી થતો યોગ છે જે ઉપરોક્ત દર્દોમાં કારણભૂત છે.
મંગળ બારમે હોય તે બળવાન હોય તેવી વ્યકીમાં એક વિશેષ ગુણ હોય છે, સામેના પાત્રને નિર્બળ બનાવેછે, તથા શુક્રક્ષયના હિસાબે ટીબી , કમળો, રક્તકણોની કમી વગેરે થાય છે.જેનાથી જો એક પાત્રને મંગળ ૧૨ બારમે હોય જયારે સામે પાત્રને ના હોય તો આવું વિશેષ પ્રકારે બનતું હોય છે.
પુરુષને મંગળ ૧૨ બારમે બળવાન હોય તથા સ્ત્રીને ના હોય ત્યારે તે પુરુષને પત્ની ઓછા રક્તકણ, અશક્ત, લોહીનું પ્રમાણ ઘટવું , કમરનો દુઃખાવો, શરીરનું જલાઈ જવું. વગેરે જવર (તાવ) ની બીમારીનો ભોગ બનેછે.
જયારે પુરુષને મંગળ ના હોય અને સ્ત્રીને મંગળ હોય તો પુરુષ ને કમજોરી, ક્રોધ, ટીબી, ડાયાબિટીસ, પેશાબમાં રસી,પેડુમાં દુઃખાવો, પુરૂષાતનમાં કમી , સ્થંભન શક્તિ ઓછી, ચક્કર આવવા વગેરે ના વ્યાધી (રોગ) થી પીડાય છે,
મીત્રો મંગળ ની અલગ અલગ ગ્રહોની યુતિથી મળતા ફળની આગળ ચર્ચા કરીશું ...............
मंगल ग्रह
धरणीगर्भसंभूतं विध्युत्कान्तिसमप्रभम |
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलम प्रणमाम्यहम ||
मंगल यानि स्कंद-कार्तिकेय | पृथ्वी के गर्भ से प्रगट हुवे | विद्युत जेसी कान्ति वाले | शक्ति को हाथमे धारण करने वाले कुमार ऐसे मंगल को हम प्रणाम करते हे |
स्कंद के आधिपत्य में आते इस ग्रह को शक्तिशाली, शौर्य और पराक्रम से भरपूर बताया गया हे | रक्त पर प्रभाव | धरती का कारक माननेमे आता हे | किन्तु कोनसे कारण मांगलिक दूल्हा अथवा दुल्हन के लिए मांगलिक पात्र की ही अपेक्षा रखते हे |
लग्न 1 लगन्में बलवान मंगल होता हे तो देहिक शक्ति बहुत होती हे | उर्जा से भरपूर सदा शौर्य को मान देनार साहसी पराक्रमी आखे रक्त वर्ण की और आख के जरासे रोगी होते हे | अब ऐसे जातक के साथ जिसके विवाह करनेमे आये वो पात्रभी उसके अनुरूप होना जरुरी मानागया हे |
4 चौथे स्थान में मंगल वाले जातक संपत्तिवान वाहन सुख भुगतने वाले | कामुक विचार धारण करने वाले | धर्म प्रेमी | श्रधा में कम विश्वास रखने वाले और सदा भोग के विचार करने वाले होते हे |
चौथे सातवें बारहवें जिनकी कुंडली मंगल चलता हे जिसकी कुंडली में उपरोक्त स्थानमे मंगल हे ऐसे पात्र की शादी की जाती हे ।
चतुर्थ स्थान में उच्चके मंगलवाले जातक यदि साहस करते हे तो सफलता प्राप्त करते हे | किन्तु इसकेलिए चन्द्र बल की आवश्यकता होतिहे | चतुर्थ स्थान में नीचके मंगल वाले जातक साहसी और कभी गुनाहित प्रवृति करना | कर चोरी करना बनते हे ऐसे जातक अपने जीवनमे चड़ाव उतार के भोग बनते हे | यदि ऐसे जातक यदि पुरुष होतेहे वो ज्यादा महिलाओ के साथ सबंध रखनार और यदि स्त्री हेतो विवाह पश्चात सबंध धारण करनार होति हे ।
यदि शुक्र उच्चका और मंगल चतुर्थ में नीचका हे ऐसे जातक को जिसके साथ विवाह होते हे वे पुरुष हुवे तो विधवा त्यक्ता प्रेमभंग हुवे अथवा एक बार रिश्ता टूटने वाली कन्या मिलती हे और यदि स्त्री जातक हे तो उसको दूसरी बार अथवा अपने से कम उम्र वाले से रिश्ता होता हे ।
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कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलम प्रणमाम्यहम ||
मंगल यानि स्कंद-कार्तिकेय | पृथ्वी के गर्भ से प्रगट हुवे | विद्युत जेसी कान्ति वाले | शक्ति को हाथमे धारण करने वाले कुमार ऐसे मंगल को हम प्रणाम करते हे |
स्कंद के आधिपत्य में आते इस ग्रह को शक्तिशाली, शौर्य और पराक्रम से भरपूर बताया गया हे | रक्त पर प्रभाव | धरती का कारक माननेमे आता हे | किन्तु कोनसे कारण मांगलिक दूल्हा अथवा दुल्हन के लिए मांगलिक पात्र की ही अपेक्षा रखते हे |
लग्न 1 लगन्में बलवान मंगल होता हे तो देहिक शक्ति बहुत होती हे | उर्जा से भरपूर सदा शौर्य को मान देनार साहसी पराक्रमी आखे रक्त वर्ण की और आख के जरासे रोगी होते हे | अब ऐसे जातक के साथ जिसके विवाह करनेमे आये वो पात्रभी उसके अनुरूप होना जरुरी मानागया हे |
4 चौथे स्थान में मंगल वाले जातक संपत्तिवान वाहन सुख भुगतने वाले | कामुक विचार धारण करने वाले | धर्म प्रेमी | श्रधा में कम विश्वास रखने वाले और सदा भोग के विचार करने वाले होते हे |
चौथे सातवें बारहवें जिनकी कुंडली मंगल चलता हे जिसकी कुंडली में उपरोक्त स्थानमे मंगल हे ऐसे पात्र की शादी की जाती हे ।
चतुर्थ स्थान में उच्चके मंगलवाले जातक यदि साहस करते हे तो सफलता प्राप्त करते हे | किन्तु इसकेलिए चन्द्र बल की आवश्यकता होतिहे | चतुर्थ स्थान में नीचके मंगल वाले जातक साहसी और कभी गुनाहित प्रवृति करना | कर चोरी करना बनते हे ऐसे जातक अपने जीवनमे चड़ाव उतार के भोग बनते हे | यदि ऐसे जातक यदि पुरुष होतेहे वो ज्यादा महिलाओ के साथ सबंध रखनार और यदि स्त्री हेतो विवाह पश्चात सबंध धारण करनार होति हे ।
यदि शुक्र उच्चका और मंगल चतुर्थ में नीचका हे ऐसे जातक को जिसके साथ विवाह होते हे वे पुरुष हुवे तो विधवा त्यक्ता प्रेमभंग हुवे अथवा एक बार रिश्ता टूटने वाली कन्या मिलती हे और यदि स्त्री जातक हे तो उसको दूसरी बार अथवा अपने से कम उम्र वाले से रिश्ता होता हे ।
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गुरुवार, 7 जनवरी 2016
चन्द्र ग्रह
चंद्रमा बारह राशिमे भिन्न भिन्न फल देनार नों ग्रहोमे सबसे शीघ्र परिभ्रमण करनार हे,बारह राशिमे चन्द्र का फल वर्णित हे,किन्तु एक जानकारी के अनुसार (कर्क राशिका चन्द्रमा स्वगृही बलवान हे परन्तु पोष मासकी पूर्णिमा का कर्क का चंद्रमा पूर्ण बलि हे,किन्तु वही चंद्रमा अमावस्या का कर्क राशिमे दुसित होता हे,जो अंदाजित आषाढ़ मासकी अमावस्या का होता हे,)
वृषभ राशिमे वैशाख मासकी अमावस्या का चंद्रमा उच्चका होने के कारण भी दुसित बनता हे,जब कार्तिक पूर्णिमा में वही चंद्रमा वृषभ का बलवान बनता हे.
चंद्रमा जीवन का कारक हे,पूर्ण चंद्रमा वाले जातक एसेतो बलवान मनोबल वाले,उपासक,अपने जीवनमे अचानक परिवर्तन अनुभव करने वाले,योगी,त्यागी,मनको पेहले वश नहीं करनार किसीकी कृपा के बाद परिवर्तन होके उम्र के साथ त्याग प्राप्त करनेकी और चले जाते हे,
कर्क राशिवाले जातक के लग्न जीवनमे समस्या,पति पत्नी के आरोग्यमें समस्या आति हे,जब कर्क राशी पुष्य नक्षत्र वाले जातक बहुत हिम्मत वाले साहसी,भोजन करनेमे अनियमितता,लीवर के रोग,जेसेकी कमरों,पान्डुरोग ऐसे रोगों के भोग बाल्या अवस्थामे बनते हे.
चंद्रमा के फल कथनमें सिर्फ राशी का विचार करते सिर्फ राशिको ध्यानमे नहीं लेते नक्षत्र-अंश तक अध्ययन करने से सही फल कथन होगा
वृषभ राशिमे वैशाख मासकी अमावस्या का चंद्रमा उच्चका होने के कारण भी दुसित बनता हे,जब कार्तिक पूर्णिमा में वही चंद्रमा वृषभ का बलवान बनता हे.
चंद्रमा जीवन का कारक हे,पूर्ण चंद्रमा वाले जातक एसेतो बलवान मनोबल वाले,उपासक,अपने जीवनमे अचानक परिवर्तन अनुभव करने वाले,योगी,त्यागी,मनको पेहले वश नहीं करनार किसीकी कृपा के बाद परिवर्तन होके उम्र के साथ त्याग प्राप्त करनेकी और चले जाते हे,
कर्क राशिवाले जातक के लग्न जीवनमे समस्या,पति पत्नी के आरोग्यमें समस्या आति हे,जब कर्क राशी पुष्य नक्षत्र वाले जातक बहुत हिम्मत वाले साहसी,भोजन करनेमे अनियमितता,लीवर के रोग,जेसेकी कमरों,पान्डुरोग ऐसे रोगों के भोग बाल्या अवस्थामे बनते हे.
चंद्रमा के फल कथनमें सिर्फ राशी का विचार करते सिर्फ राशिको ध्यानमे नहीं लेते नक्षत्र-अंश तक अध्ययन करने से सही फल कथन होगा
शनिवार, 2 जनवरी 2016
सूर्य ग्रह का वर्णन
सूर्य का शरीर अच्छा मजबूत और उच्चे कदवाला हे , रक्त के समान लाल रंग है, उसका मुंह पिला अर्थांत नारंगी रंग का है, हालांकि उसके सिर पर बहुत छोटे बाल और दाढ़ी के बाल विषेस प्रकारके होतेहे , उसकी आँखें चमकदार पीलेरंग की और मोटी होति हे, हड्डिया बहुत मजबूत होति है, और पित्त प्रकृति की प्रधानता वाले हे ,उसके अलावा उसके बालों और रोम पित नारंगी होते हे, उसका चेहरा उज्ज्वल और मांसल शरीर हे ।
सूर्य की आयु 50 साल गिननेमे आइ हे , सूर्य को सत्त्वगुण प्रधान बताया गया हे,जोभी मनुष्य की कुंडली में सूर्य बलवान होता हे वो मनुष्य प्रमाणिक और एकवचनी और नियमित होता हे, विचारसिल और विश्वासु लागनीवान होता हे, सरल और दयावान त्रुस स्वभावका होता हे,परन्तु सूर्य दुसित हो तो मनुष्य जूठा,अभिमानी,बाल्य स्वाभावका बनता हे,और सबको परेसान करनार और निंदा करनार स्वभावका बनता हे,बड़ी बड़ी बाते करनार परन्तु दुसरे के सहारे जीवन जीता हे,सूर्य सत्त्वगुणी होनेसे बलवान सूर्य वाले मनुष्य धार्मिक,नीतिवान,यात्रा करनार,धर्ममे रूचि रखने वाले और मासूम दिल के होते हे.
सूर्य दुसित बनते मनुष्य के दिमाग,छाती मुख आख की पीड़ा की संभवना रहती हे,हदय,पीठ,आख इस भागो में सूर्य का आधिपत्य वर्चस्व होता हे.
सूर्य पुरुष ग्रह हे,उसकी गणना पापग्रहोमे होती हे,वो क्षत्रिय जातिका हे,उसका वर्ण तांबे के समान रक्त हे,वो पूर्व दिशाका अधिपति और अग्नि तत्व वाला हे,उसका अधिपति अग्नि हे ।
सूर्य की आयु 50 साल गिननेमे आइ हे , सूर्य को सत्त्वगुण प्रधान बताया गया हे,जोभी मनुष्य की कुंडली में सूर्य बलवान होता हे वो मनुष्य प्रमाणिक और एकवचनी और नियमित होता हे, विचारसिल और विश्वासु लागनीवान होता हे, सरल और दयावान त्रुस स्वभावका होता हे,परन्तु सूर्य दुसित हो तो मनुष्य जूठा,अभिमानी,बाल्य स्वाभावका बनता हे,और सबको परेसान करनार और निंदा करनार स्वभावका बनता हे,बड़ी बड़ी बाते करनार परन्तु दुसरे के सहारे जीवन जीता हे,सूर्य सत्त्वगुणी होनेसे बलवान सूर्य वाले मनुष्य धार्मिक,नीतिवान,यात्रा करनार,धर्ममे रूचि रखने वाले और मासूम दिल के होते हे.
सूर्य दुसित बनते मनुष्य के दिमाग,छाती मुख आख की पीड़ा की संभवना रहती हे,हदय,पीठ,आख इस भागो में सूर्य का आधिपत्य वर्चस्व होता हे.
सूर्य पुरुष ग्रह हे,उसकी गणना पापग्रहोमे होती हे,वो क्षत्रिय जातिका हे,उसका वर्ण तांबे के समान रक्त हे,वो पूर्व दिशाका अधिपति और अग्नि तत्व वाला हे,उसका अधिपति अग्नि हे ।
सूर्य का धन मकर कुंभ मिन राशी में प्रभाव
9.धन राशिमे सूर्य का प्रभाव:
धन राशी के सूर्य वाले जातक बुढ़ापे में बड़े पेट वाले,धनवान,सुख भुगतने वाले होतेहे,हाथ पैर की इजा भुगतने वाले,मोटे नाख़ून वाले,कई बार कोमल कई बार कठोर होते हे ।
10.मकर राशिमे सूर्य का प्रभाव:
मकर राशिके सूर्य वाले जातक परिश्रम से विध्या प्राप्त करने वाले,उत्सव प्रेमी,समाज की जिम्मेदारी अदा करने वाले,दान आपनार,दान देनेकी रीती को समजने वाले और परिवर्तन को विलम्ब से स्वीकार करने वाले होते हे ।
11कुंभ राशी में सूर्य का प्रभाव:
कुंभ राशि के सूर्य वाले जातक आनन्द प्रोमोद करने वाले,कई अल्प आयुष्य वाले,कम संयम रखने वाले,भोगसे सुख प्राप्त करना, कभी कभी तपस्वी वैरागी बन जाता है।
12.मिन राशिमे सूर्य का प्रभाव:
मिन राशि के सूर्य वाले जातक भोगी जीवन में चड़ाव उतार देखने वाले ,बहुत बड़े मित्र वर्ग रखने वाले,मित्रसे लाभ हानी नुकसान सहन करने वाले ,प्रतिभाशाली बिमरिके भोग बननार,सव्यमके शत्रु होते हे पर वो शत्रुजीत बनते हे ।
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