धरणीगर्भसंभूतं विध्युत्कान्तिसमप्रभम |
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलम प्रणमाम्यहम ||
मंगल यानि स्कंद-कार्तिकेय | पृथ्वी के गर्भ से प्रगट हुवे | विद्युत जेसी कान्ति वाले | शक्ति को हाथमे धारण करने वाले कुमार ऐसे मंगल को हम प्रणाम करते हे |
स्कंद के आधिपत्य में आते इस ग्रह को शक्तिशाली, शौर्य और पराक्रम से भरपूर बताया गया हे | रक्त पर प्रभाव | धरती का कारक माननेमे आता हे | किन्तु कोनसे कारण मांगलिक दूल्हा अथवा दुल्हन के लिए मांगलिक पात्र की ही अपेक्षा रखते हे |
लग्न 1 लगन्में बलवान मंगल होता हे तो देहिक शक्ति बहुत होती हे | उर्जा से भरपूर सदा शौर्य को मान देनार साहसी पराक्रमी आखे रक्त वर्ण की और आख के जरासे रोगी होते हे | अब ऐसे जातक के साथ जिसके विवाह करनेमे आये वो पात्रभी उसके अनुरूप होना जरुरी मानागया हे |
4 चौथे स्थान में मंगल वाले जातक संपत्तिवान वाहन सुख भुगतने वाले | कामुक विचार धारण करने वाले | धर्म प्रेमी | श्रधा में कम विश्वास रखने वाले और सदा भोग के विचार करने वाले होते हे |
चौथे सातवें बारहवें जिनकी कुंडली मंगल चलता हे जिसकी कुंडली में उपरोक्त स्थानमे मंगल हे ऐसे पात्र की शादी की जाती हे ।
चतुर्थ स्थान में उच्चके मंगलवाले जातक यदि साहस करते हे तो सफलता प्राप्त करते हे | किन्तु इसकेलिए चन्द्र बल की आवश्यकता होतिहे | चतुर्थ स्थान में नीचके मंगल वाले जातक साहसी और कभी गुनाहित प्रवृति करना | कर चोरी करना बनते हे ऐसे जातक अपने जीवनमे चड़ाव उतार के भोग बनते हे | यदि ऐसे जातक यदि पुरुष होतेहे वो ज्यादा महिलाओ के साथ सबंध रखनार और यदि स्त्री हेतो विवाह पश्चात सबंध धारण करनार होति हे ।
यदि शुक्र उच्चका और मंगल चतुर्थ में नीचका हे ऐसे जातक को जिसके साथ विवाह होते हे वे पुरुष हुवे तो विधवा त्यक्ता प्रेमभंग हुवे अथवा एक बार रिश्ता टूटने वाली कन्या मिलती हे और यदि स्त्री जातक हे तो उसको दूसरी बार अथवा अपने से कम उम्र वाले से रिश्ता होता हे ।
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कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलम प्रणमाम्यहम ||
मंगल यानि स्कंद-कार्तिकेय | पृथ्वी के गर्भ से प्रगट हुवे | विद्युत जेसी कान्ति वाले | शक्ति को हाथमे धारण करने वाले कुमार ऐसे मंगल को हम प्रणाम करते हे |
स्कंद के आधिपत्य में आते इस ग्रह को शक्तिशाली, शौर्य और पराक्रम से भरपूर बताया गया हे | रक्त पर प्रभाव | धरती का कारक माननेमे आता हे | किन्तु कोनसे कारण मांगलिक दूल्हा अथवा दुल्हन के लिए मांगलिक पात्र की ही अपेक्षा रखते हे |
लग्न 1 लगन्में बलवान मंगल होता हे तो देहिक शक्ति बहुत होती हे | उर्जा से भरपूर सदा शौर्य को मान देनार साहसी पराक्रमी आखे रक्त वर्ण की और आख के जरासे रोगी होते हे | अब ऐसे जातक के साथ जिसके विवाह करनेमे आये वो पात्रभी उसके अनुरूप होना जरुरी मानागया हे |
4 चौथे स्थान में मंगल वाले जातक संपत्तिवान वाहन सुख भुगतने वाले | कामुक विचार धारण करने वाले | धर्म प्रेमी | श्रधा में कम विश्वास रखने वाले और सदा भोग के विचार करने वाले होते हे |
चौथे सातवें बारहवें जिनकी कुंडली मंगल चलता हे जिसकी कुंडली में उपरोक्त स्थानमे मंगल हे ऐसे पात्र की शादी की जाती हे ।
चतुर्थ स्थान में उच्चके मंगलवाले जातक यदि साहस करते हे तो सफलता प्राप्त करते हे | किन्तु इसकेलिए चन्द्र बल की आवश्यकता होतिहे | चतुर्थ स्थान में नीचके मंगल वाले जातक साहसी और कभी गुनाहित प्रवृति करना | कर चोरी करना बनते हे ऐसे जातक अपने जीवनमे चड़ाव उतार के भोग बनते हे | यदि ऐसे जातक यदि पुरुष होतेहे वो ज्यादा महिलाओ के साथ सबंध रखनार और यदि स्त्री हेतो विवाह पश्चात सबंध धारण करनार होति हे ।
यदि शुक्र उच्चका और मंगल चतुर्थ में नीचका हे ऐसे जातक को जिसके साथ विवाह होते हे वे पुरुष हुवे तो विधवा त्यक्ता प्रेमभंग हुवे अथवा एक बार रिश्ता टूटने वाली कन्या मिलती हे और यदि स्त्री जातक हे तो उसको दूसरी बार अथवा अपने से कम उम्र वाले से रिश्ता होता हे ।
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